तुम्हारी प्रेम-वीणा का अछूता तार मैं भी हूँ,
मुझे क्यों भूलते वादक विकल झंकार मैं भी हूँ|
मुझे क्या स्थान-जीवन देवता होगा न चरणों में,
तुम्हारे द्वार पर विस्मृत पड़ा उपहार मैं भी हूँ|
बनाया हाथ से जिसको किया बर्बाद पैरों से,
विफल जग में घरौंदों का क्षणिक संसार मैं भी हूँ|
खिला देता मुझे मारूत मिटा देतीं मुझे लहरें,
जगत में खोजता व्याकुल किसी का प्यार मैं भी हूँ|
कभी मधुमास बन जाओ हृदय के इन निकुंजों में,
प्रतिक्षा में युगों से जल रही पतझाड़ मैं भी हूँ|
सरस भुज बंध तरूवर का जिसे दुर्भाग्य से दुस्तर,
विजन वन वल्लरी भूतल-पतित सुकुमार मैं भी हूँ|
मुझे क्यों भूलते वादक विकल झंकार मैं भी हूँ|
मुझे क्या स्थान-जीवन देवता होगा न चरणों में,
तुम्हारे द्वार पर विस्मृत पड़ा उपहार मैं भी हूँ|
बनाया हाथ से जिसको किया बर्बाद पैरों से,
विफल जग में घरौंदों का क्षणिक संसार मैं भी हूँ|
खिला देता मुझे मारूत मिटा देतीं मुझे लहरें,
जगत में खोजता व्याकुल किसी का प्यार मैं भी हूँ|
कभी मधुमास बन जाओ हृदय के इन निकुंजों में,
प्रतिक्षा में युगों से जल रही पतझाड़ मैं भी हूँ|
सरस भुज बंध तरूवर का जिसे दुर्भाग्य से दुस्तर,
विजन वन वल्लरी भूतल-पतित सुकुमार मैं भी हूँ|
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MERE KUCH KALAM,APKE NAMM!