असहिष्णुता
असहिष्णुता
वैधानिक चेतावनी : मेरे लेख को पढ़ कर आप असहिष्णुता के शिकार हो सकते
हैं ,अगर आपको कोई सम्मान मिला हुआ है तो मेरे लेख को पढ़ कर उसे वापस करने या ना
करने की जिम्मेदारी पूर्णतः आपकी है ,मुझे तो आजतक विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय
तक एक पेंसिल भी पुरस्कार में प्राप्त नहीं हुआ है अतः मैं असिष्णुता का सबसे बड़ा
शिकार होते हुए भी कुछ लौटा तो सकता नहीं |
खैर,मुद्दा यह है की
एक शब्द जिसका अर्थ भी कई लोगों को शायद ही पता होगा ,खान साहब और अन्य
बुद्धिजीवियो ने उसे संक्रामक बीमारी की तरह सबकी जुबान पर फैला दिया ऑक्सफ़ोर्ड
डिक्सनरी में असहिष्णुता शब्द को जोड़ देना चाहिए |मैं खुद कई चीज़ों में असहज महसूस
करता हूँ वह असहिष्णुता है या नहीं आप तय करके मुझे बतायें|
१)मैं कद काठी से श्री गणेश करता हूँ मेरी कद काठी भी गणेश जी जैसी ही
है अगर मैं रेल में सफ़र करता हूँ तो पूरा बर्थ मेरे पालथी मारने से भर जाता है अगर
कोई और व्यक्ति उस बर्थ पर बैठना चाहे तो मैं असहिष्णु हो जाता हूँ और मेरी कमरे
छमाप्रार्थी कमर का झेत्रफल साथ बैठने वाले को असहिष्णु कर देगा |रेल मंत्रालय
हमारे जैसे लोगों के लिए अलग व्यवस्था करे अन्यथा मैं असहिष्णु हो जाऊंगा |
२)मैं आहार चार वयक्तियो के बराबर लेता हूँ ,भगवान को सुबह शाम एक पाव
घी से बना भोग अर्पित करता हूँ और प्रसाद अकेले खा जाता हूँ अगर परिवार के लोग
उसमे हिस्सा मांगते हैं तो मैं असहिष्णु हो जाता हूँ क्योंकी मेरा मानना है की
श्रधा व्यक्तिगत होती है |
३)भोजन के पहले २ गिलास बूटी छान कर पीता हूँ बम भोले के नाम पर ,अगर बिहार
सरकार पूर्ण नशाबंदी करती है तो असहिष्णु होकर मिल्क बार के सामने धरना दे कर बैठ
जाऊंगा और शराब बेचने वालों को जब दूध बेचना पड़ेगा तो वे भी असहिष्णु हो जायेंगे |
४)अगर शराब की सारी दुकानों में दूध बिकने लगेगा तो दूध की नदियों से
बाढ़ आ जाएगी ,फिर गणेश जी को दूध पिलाना पड़ेगा वह भी हर रोज़ ,ज्यादा दूध पीने से
गणेश जी भी असहिष्णुता के शिकार बन जायेंगे और रोज़ दूध पिलाने से भक्त भी असहिष्णु
हो जायेंगे |
५ )पहले मैं अपने पुत्रों को नालायक समझता था ,लालू जी के उच्च शिक्षा
प्राप्त पुत्रों को देखकर इसलिए असहिष्णु हो गया की नालायक या लायक पिता होता है पुत्र
नहीं ,अपने पुत्रों को पढ़ने के लिए जो डाट फटकार लगाता उससे वे असहिष्णु हो जाते
होंगे |
मेरे इस लेख को पढ़कर अगर आप असहिष्णु हो गए हों तो छमा करें परन्तु एक लेखक
को मुद्दा तो चाहिए जिससे प्रकाशक महोदय की कृपा दृष्टि मुझ पर बनी रहे अन्यथा
हिंदी के लेखक को सच में असहिष्णुता होती है क्योकि लोग हैरी पोर्टर खरीदने की लिए
कतार में खड़े रह सकते हैं परन्तु हिंदी साहित्य को लोग अपने स्टेटस सिम्बल की
चिंता में नहीं खरीदते हैं |
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MERE KUCH KALAM,APKE NAMM!