मैं कौन हूँ यह ,जिस दिन जान पाउँगा ,वह मेरे जीवन के एक मात्र उपलब्धि होगी /लेकिन यह जानने की न कोई इच्छा है मेरी और ना ही इस बात के लिए मैं सोचने वाला हूँ / मैंने जो मदहोश हुआ ,उसी ख्वाब में डूबा रहना चाहता हूँ ,आकंठ और अखंड, यही मेरी साधना और यही तृष्णा है आओ मेरे पथिक ! मेरी नीरसता से विश्राम पा सको!
आओ प्यारे !अगर मुझ में समा सको !-तुझ पे अपना भार सौप कर मैं तो उड़ा!