अब मौत भी आ जाये तो ,यूँ गीत गाता मैं चलूँ /
कफ़न खुद जो ओढ़ ली ,तो ज़िन्दगी का क्या करूँ /
ज़िन्दगी भरपूर जी ली ,ये गुनगुनाता मैं चलूँ /
हर बात -पे -बेबात पे, हँसता हँसता मैं चलूँ /
अब तक झुकाया सर नहीं ,अब सर कटाता मैं चलूँ /
ये रात अंतिम रात है ,अब रौशनी में क्यों रहूँ /
की दोस्तों ने दुश्मनी ,क्या रंज उनसे अब करूँ /
दो गीत हैं दौलत मरी ,उनको लुटता अब चलूँ /
कुछ टीस सीने में रही ,उनका भला मैं क्या करूँ /
अब दो घडी की बात है ,उसकी दवा अब क्या करूँ /
उँगलियाँ उठती रही हर बार ,बदनामियों को सर लगाता अब चलूँ /