आशा के साथ बहुत दिन
रह लिए ,कुछ पाया नहीं /अब निराशा से भी दोस्ती कर के देखो /कौन जाने जो आशा से नहीं
हुआ , वह निराशा से हो जाये / और मैं तुमसे कहता हूँ ;होता है / जहाँ आशा हार जाती
है ,वहां निराशा जीत जाती है /कितने -कितने जन्मों से तुम आशाओं के सहारे चल रहे हो
,अब निराशा का सहारा लो /कितने दिन तक तो तुमने संत्वानाएं खोजीं ,अब सांत्वना मत खोजो
/ अगर अर्थ-हीनता है तो अर्थ-हीनता सही /अब तुम स्वीकार करो जीवन जैसा है ,अब तुम अस्वीकार
मत करो /
और यह
नयी आशा नहीं होगी :यह सत्य होगा /आशा-निराशा दोनों चली जाएगी और तुम्हारे भीतर वही
रह जायेगा ,जो वस्तुतः है /और उसी में आनंद है उसी में मुक्ति है /
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MERE KUCH KALAM,APKE NAMM!