Saturday, November 12, 2011


                                          आशा के साथ बहुत दिन रह लिए ,कुछ पाया नहीं /अब निराशा से भी दोस्ती कर के देखो /कौन जाने जो आशा से नहीं हुआ , वह निराशा से हो जाये / और मैं तुमसे कहता हूँ ;होता है / जहाँ आशा हार जाती है ,वहां निराशा जीत जाती है /कितने -कितने जन्मों से तुम आशाओं के सहारे चल रहे हो ,अब निराशा का सहारा लो /कितने दिन तक तो तुमने संत्वानाएं खोजीं ,अब सांत्वना मत खोजो / अगर अर्थ-हीनता है तो अर्थ-हीनता सही /अब तुम स्वीकार करो जीवन जैसा है ,अब तुम अस्वीकार मत करो /
                                          और यह नयी आशा नहीं होगी :यह सत्य होगा /आशा-निराशा दोनों चली जाएगी और तुम्हारे भीतर वही रह जायेगा ,जो वस्तुतः है /और उसी में आनंद है उसी में मुक्ति है /

No comments:

Post a Comment

MERE KUCH KALAM,APKE NAMM!