Sunday, November 27, 2011

तुम अंडर-ग्रेजुएट हो सुन्दर, मैं भी हूँ बी. ए. पास प्रिये; 
तुम बीबी हो जाओ 'ला-फुल', मैं हो जाऊँ पति ख़ास प्रिये.

मैं नित्य दिखाऊँगा सिनेमा, होगा तुमको उल्लास प्रिये;
घर मेरा जब अच्छा न लगे, होटल में करना वास प्रिये.

'सर्विस' न मिलेगी जब कोई, तब 'ला' की है एक आस प्रिये;
उसमें भी 'सकसेस' हो न अगर, रखना मत दिल में त्रास प्रिये.

बनिया का उपवन एक बड़ा, है मेरे घर के पास प्रिये;
फिर सांझ सबेरे रोज वहाँ, हम तुम छीलेंगे घास प्रिये. 

मैं ताज तुम्हें पहनाऊँगा, खुद बांधूगा चपरास प्रिये;
तुम मालिक हो जाओ मेरी, मैं हो जाऊँगा दास प्रिये.

मैं मानूँगा कहना सारा, रखो मेरा विश्वास प्रिये;
अपने कर में रखना हरदम तुम मेरे मुख की रास प्रिये.

यह तनमयता की वेला है, दिनकर कर रहा प्रवास प्रिये;
आओ हम-तुम मिलकर पीलें, 'जानी-वाकर' का ग्लास प्रिये.

अब भागो मुझसे दूर नहीं, आ जाओ मेरे पास प्रिये;
अपने को तुम समझो गाँधी, मुझको हरिजन रैदास प्रिये
 
(श्री भगवतीचरण वर्मा के 'प्रेम संगीत' की पैरोडी)

1 comment:

  1. Lagta nahin ki yah pairodi ek Dr ki likhi hai, aap to bhavon aur shabdon ke Dr bhi pratit hote hai.

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MERE KUCH KALAM,APKE NAMM!