Tuesday, July 30, 2013

भविष्य का भारत

भविष्य का भारत


भारत ,विश्वगुरु भारत ,प्रभारत भारत जिस पर हम सभी भारतवासी गौरव का नुभव करते हैं ,उसकी संस्कृति और सभ्यता उन्ती ही दीर्घ है जितनी की उसकी सीमा रेखा | हमें भारतवर्ष हमारे पुरखों की विरासत के रूप में मिला और उस विरासत को आने वाली पीदियों को किस रूप में देंगे बहुत कुछ हम पर निर्भर है |
                                        इतिहास स्वयं हमसे प्रश्न करेगा और और उसका उत्तर देना सहज नही होगा |
आज भारत को जिस रूप में हम देख रहे हैं ,जहाँ स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी गरीबों को दो जून की रोटी नसीब नहीं ,उद्योग धंधों पर ताले लग रहे हैं ,भ्रष्टाचार का दानव पुरे देश को निगले के लिए बेताब है ,आतंरिक सुरक्षा और बाह्य सुरक्षा दोनों पर गंभीर प्रश्न हर दिन उभर कर सामने आ रहे हैं , उर्जा की कमी से निवेशकों का भारत से विश्वास उठ चूका है ,रूपये की गिरते स्तर ने लगभग राष्ट्रीय संकट सी स्थिति उत्पन्न कर दी है | आज से मात्र दस वर्ष पूर्व NDA के शासन काल में महंगाई दर ४ प्रतिशत सकल घरेलु और उत्पाद ८ प्रतिशत था आज इसके ठीक उलट महंगाई दर ८ प्रतिशत और सकल घरेलु उत्पाद ४ प्रतिशत है | देश के एक हिस्से में बाढ़ और दुसरे हिस्से में सुखाड की नौबत है |

इन सब ज्वलंत प्रश्नों के उत्तर एक ही हैं ,कांग्रेस की सरकार के पास नीतियाँ लगभग हैं ही नहीं ,उनकी नीतियाँ भ्रष्टाचार को छुपाने और साम्प्रदायिकता का राग अलापने के सिवा और कुछ भी नहीं |अगर सुप्रीम कोर्ट . कैग आदि संवैधानिक संस्थाए न होती तो भारत का पुनरुथान असंभव हो गया होता ,इस सरकार ने संवैधानिक संश्थाओं की मर्यादा को भी तार तार कर दिया |
अब प्रश्न यह है भारत के भविष्य में हमारी और आपकी क्या भूमिका होनी चाहिए ,इसके लिए हमें नीतियों का पुनर्निर्धारण करना होगा ,भागीरथ प्रयास करने होंगे ,हमें ररत और दिन का फर्क भूल कर एक इमानदार पहल करनी होगी |
मैं कुछ नीतियों का जिक्र करना चाहूँगा जो भारत के भविष्य को निर्धारित करने में महती भूमिका का निर्वहन करेंगी |

१) नदियों को जोड़ने की पहल – हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी जी की इस महत्वाकान्छी प्ररियोजना का सीधा लाभ कृषि को तो मिलता ही साथ ही भारत अकाल और बाढ़ जैसी विभीषिका से झूझता नहीं ,नदियों का जल समुद में न जाकर किसानों के खेत में पहुचता और सिंचाई में खर्च होने वाले उर्जा की बचत सुनिश्चित होती ,हमें तय सीमा में इस परियोजना के बारे में सोचना होगा |

२) मनरेगा को नया आयाम – मनरेगा में बहुघा Unskilled श्रम का उपयोग होता आ रहा है ,श्रमिक बंधुआ मजदूर की तरह कार्य कर करे हैं ,अगर काम की आवादी में ही उन्हें Skill की ट्रेनिंग दी जाती तो उनके और देश के हालत कुछ और होते |

३) भ्रष्टाचार पर नकेल – CBI को स्वायत कर एक हद तक भ्रष्टाचार पर नकेल लगा सकते हैं ,लेकिन सबसे ज़रूरी शर्त होगी पारदर्शिता , और सरकारी कार्यों की तय बद्ध सीमा | कालेधन पर श्वेत पत्र जारी कर उन नामो को उजागर करना जिन्होंने कालाधन छुपा रखा है और सरकार उनका खुलासा नहीं कर रही |

४) उर्जा के क्षेत्र में क्रांति – भारत के पास विशाल सागर सीमा है अगर हम पवन उर्जा का सही इस्तेमाल करें जैसा की गुजरात में हुआ है तो भारत को क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने से कोई रोक नहीं सकता ,हर घर में बिजली ,हर उद्योग को बिजली जिसकी लागत शुन्य होगी ,उर्जा के बिना निवेश और रोज़गार की बात करना बेमानी है |

५) शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार – हमारे शिक्षा प्रणाली रोजगार के अवसर प्रदान करने वाली हो ,यह कार्य पश्चिम की नक़ल के बगैर किया जा सकता है|


६) सुरक्षा प्रणाली का विस्तार – जब हमारे वैज्ञानिकों के पास परमाणु तक की स्वदेशी निर्भरता है तो उन्हें प्रोत्साहित कर एक ऐसी निति का निर्माण काना होगा की आयुध की विदेशी निर्भरता खत्म हो ,आतंकवाद को यह सर्कार जिस तुष्टिकरण की निति से देख रही है उसका परिणाम घातक ही निकला ,पोट| जैसे कानूनों को फिर से वापस लाना होगा , नौ सेना को और मज़बूत बनाना होगा |


७) महिलाओं के सुरक्षा के कठोर क़ानून – बलात्कार जैसे बढती हुई घटनाओं को रोकने के लिए मृत्युदंड का प्रावधान हो तथा अश्लील साइट्स पर निषेध हो ,महिलाओं की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चचित करने के लिए संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाने पर विचार हो |

८) आम नागरिकों से सीधा संवाद – गुजरात की तर्ज पर आम नागरिकों से सीधा संवाद होना चाहिए |

मेरे मत से नीतियों का सही सञ्चालन और स्पस्ष्ट रोड मैप से हम भविष्य के भारत को अपनी आने वाली पीदियों को सौपने में सदा गर्व का अनुभव करेंगे | आज का वर्तमान कल का भविष्य निर्धारि
त करेगी |

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